जीवन की सैर।
जीवन का सफ़र
जीवन के उबड़-खाबड़ रास्ते।
चलना है बहुत सम्भल कर।
साथिया साथ निभाना।
फिसल ना जाऊँ मुझको तुम थाम लेना।
तनहाईयों से डर लगता है।
मंजिल बहुत दूर है।
साथिया साथ निभाना ।
अकेले छोड़कर ना तुम चलें जाना।
डबडबाती है आँखे मेरी।
कुछ भी सहन ना करती है।
साथिया साथ निभाना।
हाथों से पलकें मेरी तुम सहलाना।
कभी बहक जाए कदम ये मेरे ।
बाहों का सहारा तुम बन जाना।
साथिया साथ निभाना।
रास्ते मेरे आसान तुम कर जाना।
चलो चलें अब चलतें हैं।
जिंदगी की रहगुजर पर।
साथिया साथ निभाना।
साँसो की रीदम तुम सुन जाना।
साथ हमारा छूटे ना।
कितनी भी तकलीफ हो।
साथिया साथ निभाना।
घावों पर प्यार का मरहम तुम बन जाना।
नीलम गुप्ता🌹🌹 (नजरिया )🌹🌹
दिल्ली
Aliya khan
23-Jun-2021 10:55 PM
बेहतरीन
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Renu Singh"Radhe "
23-Jun-2021 08:08 PM
बहुत सुंदर रचना
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ऋषभ दिव्येन्द्र
23-Jun-2021 07:10 PM
खूब लिखा आपने 👌👌
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